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 नमस्कार दोस्तों मेरा नाम आदर्श पाण्डेय है, आपको अपने Healthidea ब्लॉग मे स्वागत है, आज के इस आर्टिकल के जरिये हम विरार मे मौजूद (योगनी माता बृजेश्वरी मंदिर ) के बारे मे जानेगे जैसे मंदिर का निर्माण कब हुवा था, मंदिर से जुड़े तथ्यों वा लोकप्रिय कथाओं के बारे मे...



बृजेश्वरी मंदिर कहा पर है, वा यहाँ पर कैसे पहुंचे?

बृजेश्वरी  मंदिर  विरार मे स्थित है, अगर आपको यहाँ पर आना है, यदि आप मुंबई से हो तोह आपको वेस्टर्न लाइन का लोकल पकड़कर विरार स्टेशन आना होगा विरार स्टेशन आने के बाद आपको विरार ईस्ट मे आना होगा विरार ईस्ट मे आपको बस वा ऑटोरिक्शा दोनों मिल जायेंगे जिससे आप वहा से चन्दसार रोड पार करते हुवे बृजेश्वरी रोड पर पहुंच जायेंगे वहा से आपको 16 किलोमीटर की दुरी तय करनी होंगी बृजेश्वरी मंदिर पहुंचने के लिये....

अगर आप मुंबई से बाहर है, तो हम आपको बता दे मुंबई मे बृजेश्वरी मंदिर तमसा नदी के तट पर भिवंडी शहर ठाणे जिले मे स्थित है,यह मंदिर विरार से 27.6 किलोमीटर की दुरी पर बृजेश्वरी के डाकघर के पास मंदागिरी पहाड़ पर स्थित है.इस पहाड़ का निर्माण ज्वालामुखी बिस्फोट से हुवा है.


बृजेश्वरी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

बृजेश्वरी मंदिर प्रसिद्ध होने का मुख्य कारण है, यहाँ पर मौजूद कुंड इन कुंड का प्रसिद्ध होने का कारण है, कुंड के अनदर का जल जो सदैव गर्म रहता है, वा यहाँ की मानताये है की प्रभु श्रीराम और परशुराम ने दौरा किया था |कीवदनती कहती है कहती है की परशुराम ने वडवाली मे एक यज्ञ किया था

बृजेश्वरी मंदिर से जुडी दांतकंथाये?

मंदिर की प्राथमिक देवी वज्रयोंगनी माता है, माता को पार्वती वा आदि माया का अवतार माना जाता है,माता के नाम का शाब्दिक अर्थ है आदिमाया

कथाये - 1

कलिकाला या कालीकूट नाम का एक दैत्य जिसने वहा पर देवी देवताओं वा मनुष्यों को परेशान किया वा देवताओं के खिलाफ युद्ध जारी कर दिया जिसके कारण देवताये वा ऋषि मुनि परेशान होकर देवी का प्रसन्न करने के लिये त्रिचंडी यज्ञ किया है,क्रोधित होकर इन्द्र ने (देवताओं के राजा ) ने अपने वज्र से प्रहार किया है, ऋषि मुनि डर कर देवी का नमन किया वा उन्हें बचाने का अनुरोध किया देवी वहा पर प्रकट होकर वज्र को निगल लिया इन्द्र को अपमानित किया वा दैत्य का वध किया | देवी से अनुरोध किया गया उस छेत्र मे रुकने के लिये लोगो ने प्रार्थना किया राम ने देवी से अनुरोध किया की वो वडवाली छेत्र मे रहे बृजेश्वरी के नाम से जानी जाये इसी प्रकार यहाँ पर मंदिर की स्थापना किया


बृजेश्वरी मंदिर का इतिहास?

बृजेश्वरी  का मूल मंदिर उत्तर के तरफ गुंज मे था |पुर्तगाल द्वारा इसके विनाश के बाद इसे वडवाली ले जाया गया |

सन 1639 मे पेशवा बाजीराव प्रथम के छोटे भैया और सैन्य कमांडर चिमजी आपा ने पुर्तगालीयों के कब्जे वाले वसई के रास्ते मे  अपना रुकने का स्थान स्थापित किया वा देवी माँ से प्राथना की यदि वह ये किला जीत गये वा पुर्तगालीयों को हरा सके तो वह उनके लिये एक मंदिर बनाएंगे माता ने प्राथना स्वीकार किया वा उनके सोने मे आयी और उन्हें बताये की किले को कैसे जितना है |परिरामस्वरूप 16 मई को किला गिर गया और वसई मे पुर्तगालीयों की हार हो गई तभी अपनी उन्होंने माता बृजेश्वरी के सामने ली गयी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिये चिमनाजी अप्पा ने सूबेदार केशव संकर फड़के को बृजेश्वरी मंदिर बनाने का आदेश दिया

माता बृजेश्वरी की अन्य मंदिर

माता बृजेश्वरी मंदिर कांगड़ा हिमांचल प्रदेश

•एक रूखे गावों शिर्डी महाराष्ट्र

•बृजेश्वरी मंदिर चम्बा हिमांचल प्रदेश

•बृजेश्वरी मंदिर ईदर गुजरात

•बृजेश्वरी मंदिर सोलपुर बिडर जिला कर्नाटका











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