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भारतीय आयुर्विज्ञान 
भारतीय आयुर्वेद (Indian Ayurveda )


आयुर्वेद  दुनिया की प्राचीन चिकित्सा  है, आयुर्वेद का मतलब अर्थ है, आयुर्वेद (आयु:+वेद =आयुर्वेद ) आयुर्वेद का मतलब है, जीवन ज्ञान आयुर्वेद ने रोग को तीन  दोष  मे बाटा है, (वात -पित -और-कफ ) मे जब समदोष आता है, तब रोग को ठीक मना जाता है, सम्पूर्ण आयुर्वेद चिकत्सा क़े आठ अंग है, जो इस प्रकार से है. कायचिकित्सा, शल्यतन्त्र, शालक्यतन्त्र, कौमारभृत्य, अगदतन्त्र, भूतविद्या, रसायनतन्त्र और वाजीकरण

आयुर्वेद किसे कहते है? और आयुर्वेद क़े लाभ 


आयुर्वेद वाह है, जो शास्त्र जीवन विज्ञानं  स्वास्थ्य रोग व्यक्ति  ज्ञान  कराता है, उसे आयुर्वेद कहते है.
भारतीय आयुर्वेद का इतिहास

आयुर्वेद क़े लाभ 

•आयुर्वेदिक चिकित्सा से रोगी का मानसिक और शारीरिक दशा दोनों मे परिवर्तन होता है, 
•आयुर्वेदिक औषधि प्राकिर्तिक है, यह जड़ी -बूटी पौधों और फूलो मे पाया जाता, अधिकांश रूप मे आयुर्वेद का कोई side effect देखने को नहीं मिलता है, आयुर्वेद लम्बे समय से चलने वाली बीमारी को लाइलाज बीमारी को भी आयुर्वेद से ठीक किया गया है, और आयुर्वेद केवल रोगों ठीक नहीं करता है, बल्कि उसे रोकता भी है, आयुर्वेद भोजन और जिवनशैली मे भी परिवर्तन भी करता है, आयुर्वेद औषधि स्वस्थ लोग भी रोग को रोकने क़े लिए सेवन कर सकते है.

आयुर्वेद का इतिहास (History of Ayurveda )

पुरातत्ववाओ क़े अनुसार संसार की प्राचीनतम पुस्तक ऋग्वेद है, चरक सुश्रुत कश्यप यह सब आयुर्वेद को अर्थवेद का उपवेद मानते है, आयुर्वेद की रचना सुन 3000 से 50000 वर्ष ईशा पूर्व हुवा था, कहा यह जाता ऋषि  मुनियो क़े तप क़े कारण  जनकल्याण क़े लिए देवताओं ने आयुर्वेद का ज्ञान दिया इस लिए यह कह सकते है, की जब श्रिस्टी  का निर्माण हुवा तभी से आयुर्वेद हमारे साथ है, लेकिन अब क़े नये युग मे लोग आयुर्वेद से दुरी बना लिए है, आयुर्वेद मात्रा ऐसा चिकित्सा पद्धति है, जो रोग को जड़ से ख़तम करता है. 

आयुर्वेद का काल बिभाजन 

आयुर्वेद को तीन कालो मे बटा गया है, (1) सहिंताकाल (2) व्यख्याकाल  (3) विवृतिकाल 

वर्तमान  समय मे आयुर्वेद शिक्षा का विषय (Present time Ayurveda syllabus 


इस समय शिक्षा और परीक्षा विकास क़े कारण है, अब इसे बिभिन्न वर्ग मे बाटा गया है, जैसे -

(1) आयुर्वेद सिद्धांत (फंडामेंटल प्रिंसीपल्स ऑफ आयुर्वेद)

(2) आयुर्वेद संहिता

(3) रचना शारीर (एनाटमी)

(4) क्रिया शारीर (फिजियोलॉजी)

(5) द्रव्य गुड़ (मैटिरिया मेडिका एंड फार्माकॉलाजी)

(6) रस शास्त्र (इंटर्नल मेडिसिन)

(12) रोग निदान (पैथोलॉजी)

(13) शल्य तंत्र (सर्जरी)

(14) शालाक्य तंत्र (आई. एवं ई.एन.टी.)

(15) मनोरोग (साईकियाट्री)

(16) पंचकर्म 

आयुर्वेद क़े प्रमुख ग्रन्थ


* चरकसहिंता - चरक  द्वारा रचना किया गया 
* शुश्रुर्तसहिंता  - सुश्रुत द्वारा रचना किया गया है 
*अष्टांगहृदय - महृषि वाग्भट द्वारा रचना किया गया 
* भाव प्रकाश - भाव मिश्रा 
* माधवकर  - माधवनिदान 
आदि रचना है....

आयुर्वेद और एलोपैथी मे अंतर 


आयुर्वेद और एलोपैथ  मे हर प्रकार से अंतर है, रोगी को जांच करने रोग को जांच करने का आयुर्वेद और एलोपैथ दोनों का अलग ही तरीका है, एलोपैथ दवा क़े सेवन का असर जल्द होता है, परन्तु कई बार ऐसा देखा गया की रोग ठीक होने जे बाद दुबारा फिर से देखने को मिला है लेकिन अगर आयुर्वेद की बात करे ऐसे मे आयुर्वेद क़े दवा असर होने मे थोड़ा समय लेता है, लेकिन रोग को जड़ से ठीक करता है, रोगी रोग से निजात पाता है.











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